जसवीर सिंह पंवार1 एवं के.एल. दहिया2
1उपमण्डल अधिकारी, 2पशु चिकित्सक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, हरियाणा
सारांश: आमतौर पर आप बहुत बार सुनते हैं कि जीवन एक विद्यार्थी है अर्थात जीवन में हम सतत् किसी-न-किसी से कुछ सीखते रहते हैं और ज्ञान किसी से भी लिया जा सकता है, फिर चाहे वह एक व्यक्ति हो, कोई भी जीव, कीट-पतंगा हो, हर किसी से सीखा जाता है। जूफार्माकोग्नॉसी कई प्रकार के जानवरों की स्व-औषधी व्यवहार का बहु-विषयक दृष्टिकोण है, जो रसायनों की परस्पर क्रिया की उस वैज्ञानिक प्रगति को संदर्भित करती है जिसके द्वारा जानवर स्वयं की व्याधियों और बीमारियों के नियंत्रण और उपचार के लिए प्राकृतिक आवास में स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक यौगिकों जैसे कि मृदा के साथ-साथ कीटों और पौधों का निर्णय करना और उनका दोहन करके स्वयं चिकित्सा करते हैं। इस लेख में, स्तनधारियों, पक्षियों और कीटों में देखे जाने वाले कुछ प्रकार के असामान्य व्यवहार की संक्षिप्त समीक्षा की गई है, जिन्हें स्व-औषधी के रूप में माना जा सकता है।
प्रमुख शब्द: जूफार्माकोग्नॉसी, बहु-विषयक दृष्टिकोण, भक्षण, एंटिंग, स्नान, जानवर स्व-चिकित्सा, एथनोवेटरीनरी
Hind-Zoopharmacognosy-The-Basis-of-Ethnoveterinary-Medicine