के.एल. दहिया1, जसवीर सिंह पंवार2 एवं अत्तर सिंह1
1पशु चिकित्सक, 2उप मण्डल अधिकारी, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, कुरूक्षेत्र, हरियाणा।
डेयरी व्यवसाय में मादा पशुओं की उत्पादकता, उनके द्वारा संतान पैदा करने के साथ-साथ उनके पालन-पोषण पर निर्भर करती है। सही पालन-पोषण होने के बावजूद भी मादा गाय/भैंस का गर्भधारण न हो पाना पशुपालकों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनता है। गर्भाधान करवाने के बाद यदि मादा का गर्भ धारण नहीं होता है तो पशुपालकों को प्रतिदिन कम से कम 50 से 60 रूपये का नुकसान होता है। इस नुकसान से बचने के लिए पशुपालक गाय/भैंस में मद के सही लक्षणों की पहचान करके दूर कर सकते हैं। अतः मादा पशुओं में मद के सही लक्षणों को जानने के लिए पशु पालकों को सवेरे-शाम, पशु-शाला का चक्कर अवश्य लगाना चाहिए और मद में आई मादाओं की पहचान करके उनका गर्भधारण करवाना चाहिए।
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