के.एल. दहिया
पशु चिकित्सक, पशु पालन एवं डेयरी विभाग, कुरूक्षेत्र – हरियाणा
जब भी कभी पशुओं को थनैला रोग, बुखार, दर्द अथवा सूजन इत्यादि हो जाती है तो उनको एंटीबायोटिक, ज्वरनाशी, दर्दनिवारक और सूजनहारी दवाएं दी जाती हैं। यदि यही औषधियाँ दुधारू, अण्डा मांस उत्पादन करने वाले पशुओं को दी जाती हैं तो इन औषधियों के अंश इन खाद्य पदार्थों में भी आते हैं। इन औषधियों के अवशेष मानवीय श्रृंखला में प्रवेश कर इसको दूषित करते हैं जिससे जनस्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता ही है लेकिन इससे पर्यायवरण को भी खतरा उत्पन्न होता है। जन एवं पशु स्वास्थ्य और रोगाणुरोधी पर्यायवरण को ध्यान में रखते हुए, यहाँ पर कुछ घरेलु नुस्खे दिये जा रहे हैं जिनका उपयोग पशुओं में शोथ, शोफ, बुखार होने पर किया जा सकता है ताकि बेवजह पशुओं को एंटीबायोटिक्स, दर्दनिवारक दवाओं के प्रकोप से बचाया सके। इन घरेलु उपयोग औशधीयों के उपयोग से न केवल रोगाणुरोधी दवाओं के बेअसर होने और सूजनहारी, दर्दनिवारक एवं ज्वरनाशी औषधियों से पर्यायवरण को कोई खतरा होगा बल्कि पशु पालकों का खर्च भी कम होगा।
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