के.एल. दहिया1, यशवन्त सिंह2 एवं शुभम नरवाल3
1पशु चिकित्सक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, हरियाणा; email: drkldahiya@hotmail.com
2प्राध्यापक एवं प्रभारी, पशुधन फार्म परिसर/पशुधन उत्पादन प्रबंधन विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, रामपुरा फूल, बठिंडा, (पंजाब)। email: ysinghvet@gmail.com
3विद्यार्थी, बी.वी.एससी. एण्ड ए.एच., भा.कृ.अनु.प.-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (उत्तर प्रदेश)
बोरोन धातु के रूप-रंग का एक अधातु पदार्थ है जिसे रसायन विज्ञान में ‘बी’ के रूप में नामित किया गया है। जो उपभोग के विचार से शरीर में अतिसूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है और ट्रेस/सूक्ष्म खनिज तत्व की श्रेणी में रखा गया है। यह पौधों, जानवरों और मनुष्यों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। बोरोन मानव और पशु शरीर में हर जगह पाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक सांद्रता हड्डियों और दांतों के इनेमल में होती है। व्यापक रूप से बोरेट यौगिक बोरिक एसिड, सोडियम टेट्राबोरेट्स हैं जिन्हें बोरेक्स (सोहागा) और बोरोन ऑक्साइड भी कहा जाता है। बोरेट प्रकृति में मिट्टी, चट्टानों, सतही जल और समुद्र के पानी में पाए जाते हैं। सात से अठारह प्रतिशत पर्यावरणीय बोरोन कई ‘मानवजनित’ स्रोतों (उर्वरक, अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र अवशेषों, और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की राख) से प्राप्त होता है। बोरोन का उपयोग कई औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाता है जिसमें कांच, चीनी मिट्टी की चीज़ें, साबुन, ब्लीच, डिटर्जेंट, अग्निरोधी, सौंदर्य प्रसाधन और कृषि शामिल हैं। इस कारण से, इससे बचना अपरिहार्य है, इसके लाभ और जोखिम मूल्यांकनों का अभी वैज्ञानिक शोध विषय है।
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