के.एल. दहिया1, जसवीर सिंह पंवार2 एवं प्रदीप कुमार3
1पशु चिकित्सक, 2उपमण्डल अधिकारी, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, हरियाणा
3छात्र, बी.वी.एससी. एण्ड ए.एच. (इंटर्नी) आई.आई.वी.ई.आर. रोहतक, हरियाणा।
भेड़-बकरियों में पाया जाने वाला पीबभरी रोग विषाणुजनित संक्रामक एवं छूत का रोग है जो आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोगों में से एक है। इस रोग को कॉन्टेजियस एक्टिमा (Contagious Ecthyma) या ऑर्फ (Orf), कोन्टेजियस पुस्टुलर डर्माटाइटिस (Contagious pustular dermatitis), सोर माउथ (Sore mouth) और स्कैबी माउथ (Scabby mouth) भी कहते हैं। हिमाचल प्रदेश में गद्दी भेड़ पालक इस बीमारी को मौढे रोग कहते हैं। भेड़-बकरियों में पाया जाने वाला यह रोग भेड़-बकरी पालन के महत्वपूर्ण रोगों में से एक है। यह रोग पशुओं से इंसानों में भी होता है।
भेड़-बकरियों-में-संक्रामक-पीबभरी-रोग